Lohri-जानें क्यों इस दिन अग्नि जलाकर किया जाता है पूजन
Lohri-जानें क्यों इस दिन अग्नि जलाकर किया जाता है पूजन
लोहड़ी वैसे तो
पंजाब का प्रमुख
त्योहार माना जाता
है। लोहड़ी का
त्योहार सर्दियों के जाने
और बसंत ऋतु
के आने का
संकेत माना जाता
है। लोहड़ी के
दिन लकड़ियों और
उपलों का ढ़ेर
बनाकर अग्नि जलाई
जाती है।
लोहड़ी के पावन
पर्व पर पवित्र
अग्नि में रबी
की फसलों को
अर्पित किया जाता
है। इसी दौरान
फसलें कटकर घर
आना शुरु होती
हैं। फसल को
अग्नि को अर्पित
करने के लिए
माना जाता है
कि इससे सभी
देवताओं को फसलों
का भोग लग
जाता है। सभी
लोग पवित्र अग्नि
के चारों तरफ
नाच और गीत
गाकर चक्कर लगाते
हैं। ऐसा करके
सूर्य और अग्नि
को आभार प्रकट
किया जाता है
जिससे हर साल
उनकी फसल पर
प्रभु की विशेष
कृपा रहे। एक
प्रचलित कथा के
अनुसार मकर संक्रांति
के दिन कंस
ने भगवान कृष्ण
को मारने के
लिए लोहिता नाम
की राक्षसी को
गोकुल भेजा था।
बाल कृष्ण ने
खेल-खेल में
ही राक्षसी का
वध कर दिया
था। उसी घटना
को लोहड़ी के
पर्व से जोड़कर
देखा जाता है।
लोहड़ी में आग
जलाने की परंपरा
से एक कथा
भगवान शिव और
सती माता से
भी जुड़ी है।
राजा दक्ष ने
अपनी बेटी सती
के योगाग्नि-दहन
की याद में
अग्नि जलाई थी।
सिंधी समाज में
मकर संक्रांत से
एक दिन पहले
लाल लोही नाम
का पर्व मनाया
जाता है। पंजाबी
कथा के अनुसार
लोहड़ी के दिन
दुल्ला भट्टी की कहानी
को याद किया
जाता है। दुल्ला
भट्टी मुगल शासक
अकबर के समय
पंजाब में रहता
था। उस दौरान
लड़कियों को गुलामी
के लिए अमीर
लोगों को बेचा
जाता था। दुल्ला
भट्टी ने गुलाम
लड़कियों को छुड़ाकर
उनका विवाह हिंदू
लड़कों से करवाया।
इसी कारण से
लोहड़ी के दिन
पवित्र अग्नि जलाने की
परंपरा माना जाती
है।
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